Friday, 26 December 2014

मलेशिया ट्रूली एशिया malaysia truly asia



साउथ ईस्ट एशिया (south east asia) का एक ऐसा देश (country) जहां नेचर (nature), मार्डन कल्चर (modern culture) और तमाम सुख सुविधाएं (and all facilities) आराम से मिल जाएंगी। मलेशिया में 57 फीसदी लोग मलय है जबकि चाइनीज, इंडियंस कम्यूनिटी मिलकर आज का मलेशिया बनाते हैं। यहां की नेशनल लैंग्वेज मलय है और आधिकारिक धर्म इस्लाम ( Islam) है। मलेशिया की करेंसी मलेशियन रिंगिट है और पूरे साल यहां का मौसम काफी अच्छा रहता है। पूरे साल 15 डिग्री से 32 डिग्री सेल्यिस टेंपरेचर रहता है। मानसून के टाइम 2 से 3 हजार एमएम तक बारिश होती है। चाइनीज न्यू ईयर हो या दीवाली हर त्यौहार यहां काफी धूमधाम से मनाया जाता है। यहां के किंग का जन्मदिन जून के पहले सैटरडे को मनाया जाता है। 


ट्रेवलर्स के बीच काफी पापुलर है मलेशिया। इस देश की राजधानी क्वालालम्पुर (Kuala Lumpur) है जिसकी शार्ट फार्म केएल भी है। केएल में ही यहां की पहचान यानि कि पेट्रोनस टावर्स हैं। इसके अलावा मलेशिया में कुल 13 राज्य हैं और 3 संघीय प्रदेश है। वेस्ट मलेशिया में 11 और ईस्ट मलेशिया 2 राज्य हैं। मलेशिया आसियान का मेंबर है और कंट्री की मेन सिटीज क्वालालम्पुर, जार्ज टाउन, ईपोह और जोहोर बाहरू हैं।

अब आपको बताते हैं कि मलेशिया में एक्सप्लोर करने के लिए क्या क्या है।




क्वालालम्पुर और पेट्रोनस टावर्स (Kuala Lumpur & Petronas Towers)
ये बिल्डिंग मलेशिया की पहचान है। शहर के बीचोबीच बनी इन जुड़वा इमारतों (building) को देखने के लिए रोजाना (daily) कई टूरिस्ट (tourist) आते हैं। पेट्रोनस टावर्स को अर्जेंटीना अमेरिकन आर्किटेक्ट (Argentina American architect)   सीसर पैली ब्न्नेंत च्मससप ने डिजाइन किया था। इसकी प्लानिंग भी 1 जनवरी 1992 से शुरू हुई थी और 1 मार्च 1996 को ये बनकर तैयार (ready) हो गई थी। साल 1998 से 2004 तक ये दुनिया की सबसे उंची इमारत थी और अब भी ये दुनिया की सबसे उंची जुड़वा इमारत है। 88 फ्लोर्स (floor's) की बिल्डिंग्स में टूरिस्ट को 41 फ्लोर तक जाने की परमीशन (permission) है। इस बिल्डिंग में 41 और 42 फलोर पर स्काईब्रिज है जो दुनिया में सबसे उंचा दो मंजिला स्काईब्रिज (sky bridge) है। इसकी खासियत (specialty)  ये है कि ये स्टील (steel) और शीशों (glass) से ही बना हुआ है।
पेट्रोनस टावर्स के पास ही कवालालम्पुर पार्क है इसके अलावा केएल टावर (KL tower), केएलसीसी एक्वेरियम (KLCC aquarium) देखने लायक है। काफी बड़े एरिया में फैले इस एक्वेरियम में कई तरह की मछलियां (fish) हैं साथ ही 90 मीटर (meter) की टनल (tunnel) है जिसमें से ऐसा लगता है कि हम समुद्र (ocean) में से मछलियों को देख रहे हैं। नेशनल प्लेनेटोरियम (national planetarium), आर्किड पार्क (orchid park), बटरफ्लाई पार्क (butterfly park) भी देखने लायक है। इस शहर में सड़कें तो काफी है लेकिन सब कुछ मैनेज्ड (managed) रहता है जिससे कोई खासी परेशानी नहीं होती। यहां आकर किंग आफ मलेशिया (king of malaysia) का होम (home) इस्ताना निगारा (isana nigara) भी देखने लायक है।



पुत्राजया (Putrajaya )
वैसे तो मलेशिया की कैपिटल (capital) क्वालालम्पुर है लेकिन अब यहां की जरूरतों को देखते हुए पुत्राजया को एडमिनिस्ट्रेटिव कैपिटल (administrative capital) बना दिया गया है। यहां आने के लिए क्वालालम्पुर से करीब आधा घंटा (half hour) लगता है। यहीं पर मलेशिया के पीएम का आफिस (prime minister office) है तो सारे सरकारी डिपार्टमेंटस के आफिस (govt department office's) भी यहीं है। इसके अलावा कई देशों के दूतावास भी यहां है तो सरकारी कर्मचारियों के घर भी यहीं पर बनाए गए हैं।





जेंटिंग हाईलैंड ( Genting Highlands)
जेंटिंग को मलेशिया का लास वेगस (las vegas) भी कहते हैं। कसीनो (casino), गैम्बलिंग (gambling) और थीम पार्क (theme park) में मस्ती करते हुए लोग आपको अमेरिका के लास वेगस (las vegas in america) में होने का अहसास होगा। छोटे से शहर जैसे रिजार्ट (resort) में हर उम्र के लोगों के लिए एंटरटेनमेंट (entertainment) की चीजें हैं। जेंटिंग जाने के लिए क्वालालम्पुर के पुदू सेंट्रल (pudu central) से बस (bus) से जा सकते हैं या फिर गेंटिंग स्काईवे (gatway skyway) नाम की केबल कार (cable car) से भी यहां पर जाया जा सकता है।


बाटु केव्स (Batu Caves)
क्वालालम्पुर से 13 किलोमीटर दूर हिंदुओं के लिए काफी पवित्र जगह
(holy place for hindu's)है बाटु केव्स। इंडिया से बाहर ये जगह हिंदुओं के बीच काफी फेमस (famous) है। भगवान मुरगन ( Lord Murugan) की यहां पर पूजा होती है और यहां का थाईपुसम ( Thaipusam) त्यौहार काफी धूमधाम से मनाया जाता है। कहा जाता है कि ये जगह करीब 400 मिलियन ईयर ओल्ड
(million year old)है। यहीं पर ही 140 फुट उंची भगवान मुरगन की मूर्ति है जो वल्र्ड में सबसे उंची मूर्ति हैं।
मंदिर के अलावा बाटु जगह राक क्लाइमिंबिंग (rock climbing) के लिए भी पिछले कुछ सालों में फेमस (famous) हो गई है।




पेनांग (Penang Island)
मलेशिया का राज्य (state) है और ये दूसरा सबसे छोटा राज्य है। पेनांग इंटरनेशनल ही नहीं बल्कि डोमेस्टिक टूरिस्ट के लिए भी फेवरेड डेस्टिनेशन (favorite destination)  है। बीच (beach), पहाड़ (mountain), पार्क (park), फूड और शापिंग (food and shopping) के अलावा पेनांग का रिच कल्चर (rich culture) भी टूरिस्ट को काफी अट्रेक्ट (attract) करता है। यहां आने पर आपको हर तरह के बजट (budget) के होटल्स (hotels) मिल जाएंगे। चैरास्ता मार्किट (chorasta market) और कैम्पबैल स्ट्रीट (campbell street) में यहां का ट्रेडिशनल खाना (traditional food) और लोकल आइटम्स (local items) मिलते हैं।





लंकावी (Langkawi)
लंकावी जाने के लिए कैमरून आइसलैंड (Cameron Highlands) जाना पड़ता है और वहां से कुवाला कैद्दाह जाते हैं जिसमें करीब 5 घंटे लगते हैं। यहां से फैरी (ferry) लंकावी आइसलैंड जाती हैं जिसमें फुल फैसिलिटी होती है। लंकावी डयूटी फ्री (duty free shopping) शापिंग पसंद करने वालों के लिए जन्नत
(heaven) से कम नहीं है। इसकी खासियत इसका 100 दीपों (island's) का समूह होना है। ये मलेशिया और थाईलैंड (thailand) के बार्डर (border) पर है। पलायु पायर मरीन पार्क (palau payar marine park) में वाटर स्पोटर्स (water sports) का मजा लिया जा सकता है तो केबल कार (cable car) में बैठकर आस पास के जंगलों और समुद्र के व्यू (view)का एक्सपीरियंस भी काफी अलग है।



मलक्का (Melaka)
क्वालालम्पुर से करीब 150 किलोमीटर दूर है मलक्का। बाई कार मलक्का जाने में 2 घंटे लगते हैं तो बिगेरी सेंबिलेन रेलवे स्टेशन यहां से 40 किलोमीटर दूर है। मलेशिया का सबसे पुराना शहर होने के कारण यहां पर कई देशों का कल्चर देखने को मिल जाता है। चाइनीज (Chinese), पुर्तगीज (Portuguese) , डच (dutch) और ब्रिटिश रूलर्स (british rulers) के टाइम (time) में बनी कई इमारतें (building's) आज भी यहां उसी शान के साथ मौजूद है जैसी उस समय रही होंगी। पुर्तगाली किला ए फामोसा फोर्ट, स्टैथायस जो कि डच गर्वनर का हाउस हुआ करता था देखने लायक है। इसके अलावा सेंट पीटर्स चर्च, बुकिट चायना हो या फिर क्लेबांग बीच, तेंजुंग केलिंग, पंटाई पुतेरी या बिंदारा बीच हो टूरिस्ट के लिए काफी वैराइटी है मलक्का में।


मलेशिया का मेन इंटरनेशनल एयरपोर्ट क्वालालम्पुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट (kulalalumpur international airport) है जो क्वालालम्पुर सिटी सेंटर (KL city center) से करीब 45 किलोमीटर दूर है। ये एयरपोर्ट  हर साल 70 मिलीयन पैसेंजर्स (passengers) की कैपिसिटी (capacity) वाला एयरपोर्ट है और इसके साथ साथ दुनिया के सबसे बिजी एयरपोर्टस (busiest airport's in the world) में से एक है। यहां पर एयर एशिया (air asia), मलिंडो एयर (malindo air), कुवैत एयरवेज (kuwait airways), एयर मारिशस (air mauritius), लुफ्तांजा (luftansa), सिंगापुर एयरलाइंस (singapore airlines) जैसी 60 डोमेस्टिक और इंटरनेशनल एयरलाइंस की फ्लाइटस (60 domestic and international airlines) आती है तो 9 कार्गो एयरलाइंस (9 cargo airlines) भी यहां से अपनी फ्लाइट आपरेट करती हैं। 
छोटी सी इस कंट्री में 3 हजार से ज्यादा होटल्स (3000 hotels) है जो सभी ट्रेवलर्स के बजट में फिट आते हैं। अकेले क्वालालम्पुर में ही करीब 1000 होटल्स हैं इनमें 50 से ज्यादा 5* स्टार और 100 के करीब 4* स्टार होटल हैं।

अब मलेशिया जा रहे हैं तो वहां की लोकल लैंग्वेज (local language) में भी कुछ शब्द आपको बता देते हैं।

पढ़ने के अलावा अगर आप चाहते हैं कि ऐसी ही और इंटरस्टिंग टूरिस्‍ट डेस्टिनेशंस को देखें तो आप हमारे यू-टयूब चैनल को सब्‍सक्राइब कर सकते हैं।
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Maafkan saya
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Perempuan
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Have
Ada
Hot
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Malay
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Lelaki
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Daging
Mutton
Daging kambing
No
Tidak
Please
Tolong/Sila
Pork
Daging babi
Prawn
Udang 

Monday, 22 December 2014

mussoorie मसूरी




 FLIPKART DEAL OF THE DAY

पेड़ पौधे, दूर तक नजर आती हुई पहाडि़यां और पहाडि़यों पर बने छोटे छोटे घर (small house's) ये जगह दिल्ली (Delhi) से बेहद करीब और उत्तराखंड (uttrakhand) का टूरिस्ट डेस्टिने (tourist destination) मसूरी (Mussoorie) है। दिल्ली से 296 किलोमीटर दूर मसूरी बेहद खूबसूरत टूरिस्ट स्पाट (most beautiful tourist spot) है। दिल्ली के मीरी गेट बस टर्मिनल (kashmiri gae bus terminal) से उत्तराखंड ट्रांसपोर्ट कार्पोरे (uttrakhand transport corporation) की एसी बस (A\c bus) रात (night) करीब 10:30 पर जाती है और सुबह (morning) 6 बजे मसूरी के पिक पैलेस (pick palace, Mussoorie) पर पहुंच (reached) जाती है। एसी बस (A\c bus) का दिल्ली से मसूरी (Delhi to Mussoorie) का किराया (fare) 568 रूपये (rupee) और आर्डिनरी बस (ordinary bus) मीरी गेट (kashmiri gate) से रात (night) 9:30 बजे जाती है और सुबह (morning) 6:30 बजे मसूरी लाइब्रेरी (Mussoorie library) पहुंचती है। आर्डिनरी बस  का किराया (ordinary bus fare) 319 रूपये (rupee) है। अगर आप वाल्वो बस (volvo bus) से जाना चाहते है तो उत्तराखंड ट्रांसपोर्ट कार्पोरे (uttrakhand transport corporation) की वाल्वो बस की सर्विस (volvo bus service) दिल्ली के मीरी गेट (kashmiri gate) से सुबह 6 बजे से शुरू (start) हो जाती है और रात 12 बजे तक दिल्ली से देहरादून (delhi to Dehradun) के लिए बस जाती है वाल्वो बस का दिल्ली से देहरादून (delhi to Dehradun) का किराया (fare) 683 रूपये (rupee) है और देहरादून से मसूरी ( Dehradun to Mussoorie) जाने के लिए टैक्सी (taxi), या बस (bus) मिल जाती है। ट्रेन (train) से जाने के लिए पहले देहरादून की बुकिंग (booking) करवानी पड़ेगी और वहां से टैक्सी या बस (taxi or bus) से मसूरी (Mussoorie) जाना पड़ता है। फ्लाइट (flight) से जाने के लिए मसूरी के पास जाली ग्रांट एयरपोर्ट (jolly grant airport) है जो मूसरी से करीब 55 किलोमीटर दूर है। एयरपोर्ट से भी आप मसूरी के लिए टैक्सी ले सकते हैं।
 
मसूरी की हिस्ट्री (Mussoorie history)
मसूरी की हिस्ट्री (history) साल (year) 1825 से शुरू (start) होती है। जब कुछ ब्रिटिश आफिसर्स (British officers) ने इंडियंस (Indians) के साथ इस जगह को डिस्कवर (discover) किया। 1827 में सैनिटोरियम (sanatorium) बनवाया गया जो अब कैंटोनमेंट (cantonment) बन चुका है। उसके बाद Sir एवरेस्ट (Sir George Everest) ने अपना घर यहीं पर बनवाया। मसूरी का माल रोड जो पहले पिक्चर पैलेस (picture palace) नाम से जाना जाता था टूरिस्ट के बीच काफी पापुलर (popular in tourist) है। माल रोड (mall road) पर ही पिंग (shopping) के लिए काफी दुकानें (shops) हैं और यहीं पर उत्तराखंड (uttrakhand) के कपड़े (traditional clothes) और सामान (goods) खरीदा जा सकता है।
 


कैमल बैक रोड (camel back road)
माल रोड (mall road) के जैसे ही कैमल बैक रोड है। ज्यादातर टूरिस्ट (mostly tourist) यहां पर घुड़सवारी (horse riding) करते हुए मिलेंगे। मसूरी पब्लिक स्कूल (Mussoorie public school) से कैमल राक (camel rock) उंट (camel) जैसी लगती है इसलिए इसका नाम कैमल बैक रोड रखा गया होगा। यहां से सनसेट (sunset) देखना भी काफी अलग एक्सपीरियंस (experience) होता है।
 

गन हिल (gun hill)
मसूरी (Mussoorie) की दूसरी सबसे उंची चोटी का नाम गन हिल है (Gun Hill Second highest point of Mussoorie, at an altitude of 2024m located at 30.4953°N 78.0745°E) पैदल जाने के अलावा यहां पर रोप -वे से भी जाया जा सकता है जो सिर्फ 400 मीटर लंबी है। एक बार गन हिल पहुंचकर मसूरी, दून घाटी, बंदरपंच सहित हिमालय (himalya) का काफी सुंदर व्यू (beautiful view) मिलता है। आजादी (before independence) से पहले इस जगह पर तोप को दोपहर (evening) में चलाया जाता था जिससे लोगों को टाइम (time) का पता चल सके इसलिए इस जगह का नाम गन हिल पड़ गया।
 

म्यूनिसिपल गार्डन (municipal garden)
म्यूनिसिपल गार्डन को कंपनी गार्डन (company garden) भी कहा जाता है। आजादी से पहले इसे बोटोनिकल गार्डन (botanical garden) कहते थे। इसको वल्र्ड फेमस (world famous) भूवैज्ञानिक डा एच फाकनार लोगी ने बनाया था। यहां पर मैन मेड छोटा सा झरना और झील है।
 

तिब्बती मंदिर (Tibet temple)
मसूरी में साल 1959 में दलाई लामा (dalai lama) आए थे और यहीं पर ही पहली निर्वासित तिब्बती सरकार ( Central Tibetan Administration) बनी थी जो बाद में हिमाचल के धर्मशाला (Dharamsala, Himachal Pradesh) शिफ्ट (shift) हो गई थी। इसलिए यहां पर उस दौरान बनाए गए कुछ इमारतें मिलती है जिनमें से एक तिब्बती मंदिर भी है। इस मंदिर का आर्किटेक्चर (architecture) ऐसा है कि यहां आने वाले टूरिस्ट (tourist) इसको देखने के बाद काफी खुश हो जाते हैं। मंदिर के पीछे की तरफ कुछ ड्रम (drum) लगे हुए हैं और ऐसा माना जाता है कि इनको घुमाने से मन की मुराद पूरी होती है।
 

झड़ीपानी और भट्टा फाल (jharipani and bhatta fall)
झड़ीपानी फाल मसूरी से करीब 9 किलोमीटर दूर है। यहां जाने के लिए टूरिस्ट को करीब 7 किलोमीटर के लिए टैक्सी मिल जाती है लेकिन उसके बाद पैदल ही जाना पड़ता है। और भट्टा फाल देहरादून रोड (dehradun road) पर करीब 7 किलोमीटर बाद आता है यहां पर भी जाने के लिए टूरिस्टस को थोड़ी दूर पैदल चलना पड़ता है। दोनों जगह मस्ती और पिकनिक (piknik) मनाने के लिए अच्छी है।


कैम्पटी फाल और लेक मिस्ट (Kempty Falls and lake mist)
मसूरी में सबसे फेमस फाल है कैम्पटी फाल (Kempty Falls) ये मसूरी से करीब 15 किलोमीटर दूर है लेकिन टूरिस्ट यहां पर काफी ज्यादा आते हैं। यहां पर झरना 5 धाराओं में बहता है ये मसूरी का सबसे सुदंर फाल है और इसलिए ब्रिटि”kर्स (Britishers) भी यहां पर टी पार्टी (tea party) करते थे और कैंप (camp) लगाते थे इसलिए इसका नाम कैंप-टी फाल (Kempty Falls) पड़ा। यहां से वापस जाते वक्त लेक मिस्ट पड़ती है जहां पर टूरिस्ट बोटिंग (boating) भी कर सकते हैं।
 

सर जार्ज एवरेस्ट हाउस (Sir George Everest house)
मसूरी से 6 किलोमीटर दूर इंडिया के पहले सर्वेयर जनरल सर जार्ज एवरेस्ट की दी पार्क एस्टेट (the park estate) है। यहीं पर उनका घर और आफिस (house and office) है जिसको देखना अलग एक्सपीरियंस है। इनके ही नाम पर माउंट एवरेस्ट का नाम रखा गया है।
 
क्लाउड एंड (cloud end)
ये बंगला (bungalow) मसूरी में बने शुरूआती बंगलों में से एक है। इस बंगले को 1838 में एक मेजर (major) ने बनवाया था। हालांकि अब इसे होटल (hotel) में कनवर्ट (convert) किया जा चुका है। शादी के बाद (after marriage) पहली बार घूमने आने वालों के लिए ये होटल काफी बढि़या आप्”kन (best option) है।
 

मंदिर (temple)
कार्ट मेकेंजी रोड पर बना नाग देवता (lord nag) का मंदिर काफी पुराना मंदिर (old temple) है। यहां से मसूरी और दून घाटी का सुंदर व्यू दिखाई देता है। इसके अलावा मसूरी से 9 किलोमीटर दूर ज्वालाजी (jwala ji temple) का मंदिर भी है। बेनोग हिल (benog hill) पर बने इस मंदिर के आस-पास जंगल (forest) है।
 

यमुना ब्रिज (Yamuna bridge)
मसूरी से 27 किलोमीटर दूर यमुना ब्रिज फिशिंग (fishing) करने के लिए फेमस (famous) है। यहां पर फिशिंग (fishing) करने के लिए पहले परमिट (permit) लेना होता है।
 

लाखा महल (lakh palace)
कैम्पटी फाल से आगे जाने पर यमनोत्री रोड (yamnotri road) पर 75 किलोमीटर दूर है लाखा महल। कहा जाता है कि यहां पर महाभारत काल में कौरवों ने लाख का महल बनवाया था जिसमें पांडवों को जिंदा जलाकर मारने की योजना थी। यहीं पर एएसआई ने पुरातत्व महत्व की सैंकड़ों मूर्तियां रखी हुई है।
 
इन सबके अलावा मसूरी (Mussoorie) के आसपास धनौल्टी (Dhanaulti), सुरखंडा देवी मंदिर (surkhanda devi temple), चंबा (chamba) जैसी जगह है जहां जाकर नेचर (nature) को करीब से देखा जा सकता है।









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