Wednesday 17 December 2014

डलहौजी और खजियार dalhousie and khajjiar

FLIPKART DEAL OF THE DAY

इस पोस्ट में देखो दुनिया देखो की टीम (Team dekho dunia dekho)  आपको हिमाचल प्रदेश (himachal Pradesh) के एक और बेस्ट टूरिस्ट डेस्टिनेशन (best tourist destination) पर लेकर जा रहे हैं। इंडिया (india) की कैपिटल (capital)  दिल्ली से डलहौजी (Delhi to Dalhousie) 550 किलोमीटर से कुछ ही ज्यादा है। बाई रोड (by road) अपने व्हीकल (vehicle) से डलहौजी जाने पर करीब 9 से 10 घंटे लगते हैं। नेशनल हाईवे नंबर-1 (national highway no-1)  से अंबाला (ambala) तक जाएं और अंबाला से लुधियाना (ambala to Ludhiana) होते हुए जालंधर (jalandhar)। जालंधर पहुंचने के बाद नेशनल हाईवे नंबर-1ए (national highway no-1A) से पठानकोट (pathankot) पहुंचा जा सकता है। पठानकोट (pathankot) से स्टेट हाईवे (state highway) डलहौजी (Dalhousie) जाता है। पठानकोट से डलहौजी सिर्फ 68 किलोमीटर  दूर है।

डलहौजी जाने के लिए हिमाचल रोड ट्रांसपोर्ट कार्पोरेशन (himachal road transport corporation) की एसी (A/c)  और नान एसी (non A/c) बसों (buses) से कश्मीरी गेट बस अड्डे (kashmiri gate bus terminal) से जाया जा सकता है। नान एसी बस (non ac bus)  रोजाना (daily) करीब शाम 530 बजे के आसपास और एसी बस (ac bus)  रोजाना (daily) शाम 630 बजे के आसपास जाती है। नान एसी बस में दिल्ली से डलहौजी का किराया (fare) 570 रूपये और एसी बस का किराया 927 रूपये है। ट्रेन (train) से जाने के लिए आप कहीं से भी जम्मू (jammu) जाने वाली ट्रेनों (train) में पठानकोट (pathankot) तक का रिर्जवेशन (reservation) करा सकते हैं। पठानकोट से डलहौजी (pathankot to Dalhousie) के लिए बस और टैक्सी (bus and taxi) चलती है। अगर आप हवाई जहाज (by air)  से डलहौजी जाना चाहते हैं तो आपको कांगड़ा (kangra) के गग्गल एयरपोर्ट (gaggal airport) जा सकते हैं और वहां से टैक्सी (taxi) लेकर डलहौजी (Dalhousie) पहुंचा जा सकता है। गग्गल एयरपोर्ट से डलहौजी (gaggal airport to Dalhousie) की दूरी करीब 125 किलोमीटर है।


हिमाचल प्रदेश (himachal Pradesh) का एक और फेमस टूरिस्ट डेस्टिनेशन है डलहौजी। चंबा घाटी में समुद्र तल से 2036 मीटर की उंचाई पर बसा है डलहौजी। साल 1851 में ब्रिटिश वायसराय लार्ड डलहौजी (british viceroy lord dalhousie) ने इस जगह को खोजा था। डलहौजी 5 पहाडि़यों पर बसा शहर है। वैसे तो यहां पर देखने और खुद को फ्रैश (fresh) करने के लिए बहुत आप्शन (option) है। अगर, डलहौजी के आस पास घूमने जाएंगे तो यकीनन आपको देखने के लिए बहुत कुछ मिलेगा।


सेंट पैट्रिक चर्च (St. Patrick church)
डलहौजी में सेंट पैट्रिक चर्च मेन बस स्टैंड (main bus stand) से कैंट (cantt) की मिलिट्री रोड (military road) पर 2 किलोमीटर दूर है। ब्रिटिश आधिकारियों (british officers) की मदद (help) से साल 1909 में बना ये चर्च डलहौजी का सबसे बड़ा चर्च है। यहां के मेन हाल (main hall) में एक बार में 300 लोग बैठ सकते हैं। ये चर्च नार्थ इंडिया (north india) के सबसे खूबसूरत चर्चाें में से एक है।
(Opening time 7 am to 7 pm)


पंचपुला और सतधारा (panchpula and satdhara)
डलहौजी से पंचपुला (Dalhousie to panchpula) सिर्फ 2 किलोमीटर दूर है। इस खूबसूरत जगह पर 5 छोटे छोटे पुल हैं। इन्हीं पुलों के नाम पर इस जगह का नाम पंचपुला रखा गया है। यहीं से थोड़ी दूर पर सतधारा है। यहां पर पहले 7 धाराएं बहती थी जिस पर जगह का नाम रखा गया है लेकिन अब यहां पर सिर्फ 1 धारा बहती है। डलहौजी और बहलून में पानी की सप्लाई (water supply) यहीं से होती है। कहा जाता है कि इस जगह के पानी में कुछ बिमारियों को दूर करने की क्षमता है। इसके अलावा पंचपुला आने वाले यहां पर सरदार अजीत सिंह (sardar ajit singh) की समाधि पर भी जाते हैं। सरदार अजीत सिंह भगत सिंह के चाचा थे और इनका निधन भारत की आजादी के दिन ही हुआ था।


सुभाष बावली (subash bawli)
जीपीओ (G.P.O) से करीब 2 किलोमीटर दूर सुभाष बावली है। यहां पर सुभाष चंद्र बोस (subash Chandra bose) और सरदार अजीत सिंह ने भारत की आजादी के लिए काफी कोशिशें की थी। यहीं पर सुभाष चंद्र बोस करीब 5 महीने (5 month) रूके थे और इस दौरान वो इसी बावली का पानी पीते थे। इस जगह से आप विंटर्स (winters) में बर्फ से ढकी पहाडि़यां (snow capped mountains) देख सकते हैं।


लक्ष्मी नारायण मंदिर और मणि महेश यात्रा (laxmi narayan temple and mani Mahesh yatra)
सुभाष चैक (subash chowk) से 200 मीटर (200 meter) दूर भगवान विष्णु (lord Vishnu) का ये मंदिर (temple) है। 150 साल पुराने (150 year old)  इस मंदिर में यहां के लोकल लोग तो रोज आते ही हैं साथ ही टूरिस्ट (tourist) भी इस मंदिर में भगवान विष्णु के दर्शन करने आते हैं। लक्ष्मी नारायण मंदिर से ही हर साल अगस्त या सिंतबर (august and September) में मणि महेश यात्रा (mani Mahesh yatra) शुरू की जाती है। इस दौरान छड़ी को पवित्र  मणिमहेश झील(mani Mahesh lake) तक ले जाया जाता है। इस यात्रा के दौरान करीब 1 लाख लोग मणिमहेश झील में डुबकी लगाते हैं। ये झील कैलाश चोटी के नीचे है और यहां से थोड़ी दूरी पर संगमरमर से बना शिवलिंग है जिसे चैमुख शिवलिंग भी कहा जाता है।




कालाटोप वन्यजीव अभारण्य (kalatop forest)
कालाटोप (kalatop) की खूबसूरती भी किसी से कम नहीं है। बर्ड वाच (bird watch) करना आपकी हाॅबी (hobby) है तो यहां पर आप कई तरह के पक्षियों (birds) को देख सकते हैं। जो टूरिस्ट (tourist) यहां पर रूकना चाहते हैं उनके लिए कालाटाप रेस्ट हाउस (kalatop rest house)  है जो साल 1925 में बनाया गया था (built in 1925)।


भूरी सिंह संग्रहालय (bhuri singh museum)
डलहौजी के पास भूरी सिंह संग्रहालय भी है जिसे राजा भूरी सिंह (king bhuri singh) ने 1908 में दान किया था। इस संग्रहालय में कई एतिहासिक दस्तावेज (historical documents), पेंटिग्स (paintings) के साथ साथ एक बेहद महत्वपूर्ण दस्तावेज शारदा लिपी (sharda lipi) रखी हुई है। इसके अलावा टूरिस्ट (tourist) रंग महल  (rang palace) भी देखने जा सकते हैं जिसे राजा उमेद सिंह (king ummed singh) ने बनवाया था। मुगल और ब्रिटिश आर्किटेक्चर (mughal and British architecture) में बने इस महल में कई पंजाबी (Punjabi) शैली के चित्र हैं।



खजियार (khajjiar)
चीड़ और देवदार के पेड़ों के बीच ये हिल स्टेशन (hill station) देखकर आपको लगेगा ही नहीं कि आप इंडिया (india) में है। ये जगह दुनिया के 160 मिनी स्विटजरलैंड (mini Switzerland) में से एक है। खजियार में एक लेक भी है जिसे खजियार लेक  (khajjiar lake) कहते हैं। यहां पर एक खज्जी नागा मंदिर  (khajji naga temple) है जिसमें मंडप के कोनों में 5 पांडवों (pandava’s) की लकड़ी की मूर्ति स्थापित है। ऐसा माना जाता है कि पांडव अपने अज्ञातवास के दौरान यहां पर आकर रूके थे। इस मंदिर की एक और खासियत यहां के गुबंद का सोने (gold) की परत से ढका है। गोल्फ (golf) खेलने के शौकीन लोगों के लिए यहां पर गोल्फ कोर्स (golf course) भी है।
डलहौजी में रूकने के लिए वैसे तो कई होटल (hotel)  हैं लेकिन आप हिमाचल टूरिज्म (himachal tourism) के होटल मणिमहेश (the manimahesh) और गीतांजलि (the geetanjli) में बुकिंग (booking) करवा सकते हैं और खजियार (khajjiar) में हिमाचल टूरिज्म (himachal tourism) का देवदार होटल (the devdar hotel)  है।
सर्दियों  (winters) के अलावा गर्मी  (summers) के मौसम (weather)  में यहां जाने पर सुबह और शाम (morning and evening)  को थोड़े गर्म कपड़े (warm clothes) साथ ले जाना ना भूलें। इस ट्रिप (trip) में अपने साथ सोवेनियर (souvenir)  के तौर पर आप डलहौजी से तिब्बती हैंडीक्राफ्टस (tibbati handicrafts) जैसे पुलओवर्स (pullovers) और कार्पेट (cacrpet)  और शाल लिये जा सकते हैं।







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