FLIPKART DEAL OF THE DAY
पेड़ पौधे, दूर तक नजर आती हुई पहाडि़यां और पहाडि़यों पर बने छोटे छोटे घर (small house's)। ये जगह दिल्ली (Delhi) से बेहद करीब और उत्तराखंड (uttrakhand) का टूरिस्ट डेस्टिनेशन (tourist destination) मसूरी (Mussoorie) है। दिल्ली से 296 किलोमीटर दूर मसूरी बेहद खूबसूरत टूरिस्ट स्पाट (most beautiful tourist spot) है। दिल्ली के कशमीरी गेट बस टर्मिनल (kashmiri gae bus terminal) से उत्तराखंड ट्रांसपोर्ट कार्पोरेशन (uttrakhand transport corporation) की एसी बस (A\c bus) रात (night) करीब 10:30 पर जाती है और सुबह (morning) 6 बजे मसूरी के पिक पैलेस (pick palace, Mussoorie) पर पहुंच (reached) जाती है। एसी बस (A\c bus) का दिल्ली से मसूरी (Delhi to Mussoorie) का किराया (fare) 568 रूपये (rupee) और आर्डिनरी बस (ordinary bus) कशमीरी गेट (kashmiri gate) से रात (night) 9:30 बजे जाती है और सुबह (morning) 6:30 बजे मसूरी लाइब्रेरी (Mussoorie library) पहुंचती है। आर्डिनरी बस का किराया (ordinary bus fare) 319 रूपये (rupee) है। अगर आप वाल्वो बस (volvo bus) से जाना चाहते है तो उत्तराखंड ट्रांसपोर्ट कार्पोरेशन (uttrakhand transport corporation) की वाल्वो बस की सर्विस (volvo bus service) दिल्ली के कशमीरी गेट (kashmiri gate) से सुबह 6 बजे से शुरू (start) हो जाती है और रात 12 बजे तक दिल्ली से देहरादून (delhi to Dehradun) के लिए बस जाती है वाल्वो बस का दिल्ली से देहरादून (delhi to Dehradun) का किराया (fare) 683 रूपये (rupee) है और देहरादून से मसूरी ( Dehradun to Mussoorie) जाने के लिए टैक्सी (taxi), या बस (bus) मिल जाती है। ट्रेन (train) से जाने के लिए पहले देहरादून की बुकिंग (booking) करवानी पड़ेगी और वहां से टैक्सी या बस (taxi or bus) से मसूरी (Mussoorie) जाना पड़ता है। फ्लाइट (flight) से जाने के लिए मसूरी के पास जाली ग्रांट एयरपोर्ट (jolly grant airport) है जो मूसरी से करीब 55 किलोमीटर दूर है। एयरपोर्ट से भी आप मसूरी के लिए टैक्सी ले सकते हैं।
मसूरी की हिस्ट्री (Mussoorie
history)
मसूरी की हिस्ट्री (history) साल (year) 1825 से शुरू (start) होती है। जब कुछ ब्रिटिश आफिसर्स (British officers) ने इंडियंस (Indians) के साथ इस जगह को डिस्कवर (discover) किया। 1827 में सैनिटोरियम (sanatorium) बनवाया गया जो अब कैंटोनमेंट (cantonment) बन चुका है। उसके बाद Sir एवरेस्ट (Sir George Everest) ने अपना घर यहीं पर बनवाया। मसूरी का माल रोड जो पहले पिक्चर पैलेस (picture palace) नाम से जाना जाता था टूरिस्ट के बीच काफी पापुलर (popular in tourist) है। माल रोड (mall road) पर ही शपिंग (shopping) के लिए काफी दुकानें (shops) हैं और यहीं पर उत्तराखंड (uttrakhand) के कपड़े (traditional clothes) और सामान (goods) खरीदा जा सकता है।
मसूरी की हिस्ट्री (history) साल (year) 1825 से शुरू (start) होती है। जब कुछ ब्रिटिश आफिसर्स (British officers) ने इंडियंस (Indians) के साथ इस जगह को डिस्कवर (discover) किया। 1827 में सैनिटोरियम (sanatorium) बनवाया गया जो अब कैंटोनमेंट (cantonment) बन चुका है। उसके बाद Sir एवरेस्ट (Sir George Everest) ने अपना घर यहीं पर बनवाया। मसूरी का माल रोड जो पहले पिक्चर पैलेस (picture palace) नाम से जाना जाता था टूरिस्ट के बीच काफी पापुलर (popular in tourist) है। माल रोड (mall road) पर ही शपिंग (shopping) के लिए काफी दुकानें (shops) हैं और यहीं पर उत्तराखंड (uttrakhand) के कपड़े (traditional clothes) और सामान (goods) खरीदा जा सकता है।
कैमल बैक रोड (camel back road)
माल रोड (mall road) के जैसे ही कैमल बैक रोड है। ज्यादातर टूरिस्ट (mostly tourist) यहां पर घुड़सवारी (horse riding) करते हुए मिलेंगे। मसूरी पब्लिक स्कूल (Mussoorie public school) से कैमल राक (camel rock) उंट (camel) जैसी लगती है इसलिए इसका नाम कैमल बैक रोड रखा गया होगा। यहां से सनसेट (sunset) देखना भी काफी अलग एक्सपीरियंस (experience) होता है।
माल रोड (mall road) के जैसे ही कैमल बैक रोड है। ज्यादातर टूरिस्ट (mostly tourist) यहां पर घुड़सवारी (horse riding) करते हुए मिलेंगे। मसूरी पब्लिक स्कूल (Mussoorie public school) से कैमल राक (camel rock) उंट (camel) जैसी लगती है इसलिए इसका नाम कैमल बैक रोड रखा गया होगा। यहां से सनसेट (sunset) देखना भी काफी अलग एक्सपीरियंस (experience) होता है।
गन हिल (gun hill)
मसूरी (Mussoorie) की दूसरी सबसे उंची चोटी का नाम गन हिल है (Gun Hill Second highest point of Mussoorie, at an altitude of 2024m located at 30.4953°N 78.0745°E)। पैदल जाने के अलावा यहां पर रोप -वे से भी जाया जा सकता है जो सिर्फ 400 मीटर लंबी है। एक बार गन हिल पहुंचकर मसूरी, दून घाटी, बंदरपंच सहित हिमालय (himalya) का काफी सुंदर व्यू (beautiful view) मिलता है। आजादी (before independence) से पहले इस जगह पर तोप को दोपहर (evening) में चलाया जाता था जिससे लोगों को टाइम (time) का पता चल सके इसलिए इस जगह का नाम गन हिल पड़ गया।
मसूरी (Mussoorie) की दूसरी सबसे उंची चोटी का नाम गन हिल है (Gun Hill Second highest point of Mussoorie, at an altitude of 2024m located at 30.4953°N 78.0745°E)। पैदल जाने के अलावा यहां पर रोप -वे से भी जाया जा सकता है जो सिर्फ 400 मीटर लंबी है। एक बार गन हिल पहुंचकर मसूरी, दून घाटी, बंदरपंच सहित हिमालय (himalya) का काफी सुंदर व्यू (beautiful view) मिलता है। आजादी (before independence) से पहले इस जगह पर तोप को दोपहर (evening) में चलाया जाता था जिससे लोगों को टाइम (time) का पता चल सके इसलिए इस जगह का नाम गन हिल पड़ गया।
म्यूनिसिपल गार्डन (municipal
garden)
म्यूनिसिपल गार्डन को कंपनी गार्डन (company garden) भी कहा जाता है। आजादी से पहले इसे बोटोनिकल गार्डन (botanical garden) कहते थे। इसको वल्र्ड फेमस (world famous) भूवैज्ञानिक डा एच फाकनार लोगी ने बनाया था। यहां पर मैन मेड छोटा सा झरना और झील है।
म्यूनिसिपल गार्डन को कंपनी गार्डन (company garden) भी कहा जाता है। आजादी से पहले इसे बोटोनिकल गार्डन (botanical garden) कहते थे। इसको वल्र्ड फेमस (world famous) भूवैज्ञानिक डा एच फाकनार लोगी ने बनाया था। यहां पर मैन मेड छोटा सा झरना और झील है।
तिब्बती मंदिर (Tibet temple)
मसूरी में साल 1959 में दलाई लामा (dalai lama) आए थे और यहीं पर ही पहली निर्वासित तिब्बती सरकार ( Central Tibetan Administration) बनी थी जो बाद में हिमाचल के धर्मशाला (Dharamsala, Himachal Pradesh) शिफ्ट (shift) हो गई थी। इसलिए यहां पर उस दौरान बनाए गए कुछ इमारतें मिलती है जिनमें से एक तिब्बती मंदिर भी है। इस मंदिर का आर्किटेक्चर (architecture) ऐसा है कि यहां आने वाले टूरिस्ट (tourist) इसको देखने के बाद काफी खुश हो जाते हैं। मंदिर के पीछे की तरफ कुछ ड्रम (drum) लगे हुए हैं और ऐसा माना जाता है कि इनको घुमाने से मन की मुराद पूरी होती है।
मसूरी में साल 1959 में दलाई लामा (dalai lama) आए थे और यहीं पर ही पहली निर्वासित तिब्बती सरकार ( Central Tibetan Administration) बनी थी जो बाद में हिमाचल के धर्मशाला (Dharamsala, Himachal Pradesh) शिफ्ट (shift) हो गई थी। इसलिए यहां पर उस दौरान बनाए गए कुछ इमारतें मिलती है जिनमें से एक तिब्बती मंदिर भी है। इस मंदिर का आर्किटेक्चर (architecture) ऐसा है कि यहां आने वाले टूरिस्ट (tourist) इसको देखने के बाद काफी खुश हो जाते हैं। मंदिर के पीछे की तरफ कुछ ड्रम (drum) लगे हुए हैं और ऐसा माना जाता है कि इनको घुमाने से मन की मुराद पूरी होती है।
झड़ीपानी और भट्टा फाल
(jharipani and bhatta fall)
झड़ीपानी फाल मसूरी से करीब 9 किलोमीटर दूर है। यहां जाने के लिए टूरिस्ट को करीब 7 किलोमीटर के लिए टैक्सी मिल जाती है लेकिन उसके बाद पैदल ही जाना पड़ता है। और भट्टा फाल देहरादून रोड (dehradun road) पर करीब 7 किलोमीटर बाद आता है यहां पर भी जाने के लिए टूरिस्टस को थोड़ी दूर पैदल चलना पड़ता है। दोनों जगह मस्ती और पिकनिक (piknik) मनाने के लिए अच्छी है।
झड़ीपानी फाल मसूरी से करीब 9 किलोमीटर दूर है। यहां जाने के लिए टूरिस्ट को करीब 7 किलोमीटर के लिए टैक्सी मिल जाती है लेकिन उसके बाद पैदल ही जाना पड़ता है। और भट्टा फाल देहरादून रोड (dehradun road) पर करीब 7 किलोमीटर बाद आता है यहां पर भी जाने के लिए टूरिस्टस को थोड़ी दूर पैदल चलना पड़ता है। दोनों जगह मस्ती और पिकनिक (piknik) मनाने के लिए अच्छी है।
कैम्पटी फाल और लेक मिस्ट (Kempty Falls and lake mist)
मसूरी में सबसे फेमस फाल है कैम्पटी फाल (Kempty Falls)। ये मसूरी से करीब 15 किलोमीटर दूर है लेकिन टूरिस्ट यहां पर काफी ज्यादा आते हैं। यहां पर झरना 5 धाराओं में बहता है ये मसूरी का सबसे सुदंर फाल है और इसलिए ब्रिटि”kर्स (Britishers) भी यहां पर टी पार्टी (tea party) करते थे और कैंप (camp) लगाते थे इसलिए इसका नाम कैंप-टी फाल (Kempty Falls) पड़ा। यहां से वापस जाते वक्त लेक मिस्ट पड़ती है जहां पर टूरिस्ट बोटिंग (boating) भी कर सकते हैं।
सर जार्ज एवरेस्ट हाउस (Sir George
Everest house)
मसूरी से 6 किलोमीटर दूर इंडिया के पहले सर्वेयर जनरल सर जार्ज एवरेस्ट की दी पार्क एस्टेट (the park estate) है। यहीं पर उनका घर और आफिस (house and office) है जिसको देखना अलग एक्सपीरियंस है। इनके ही नाम पर माउंट एवरेस्ट का नाम रखा गया है।
मसूरी से 6 किलोमीटर दूर इंडिया के पहले सर्वेयर जनरल सर जार्ज एवरेस्ट की दी पार्क एस्टेट (the park estate) है। यहीं पर उनका घर और आफिस (house and office) है जिसको देखना अलग एक्सपीरियंस है। इनके ही नाम पर माउंट एवरेस्ट का नाम रखा गया है।
क्लाउड एंड (cloud end)
ये बंगला (bungalow) मसूरी में बने शुरूआती बंगलों में से एक है। इस बंगले को 1838 में एक मेजर (major) ने बनवाया था। हालांकि अब इसे होटल (hotel) में कनवर्ट (convert) किया जा चुका है। शादी के बाद (after marriage) पहली बार घूमने आने वालों के लिए ये होटल काफी बढि़या आप्”kन (best option) है।
ये बंगला (bungalow) मसूरी में बने शुरूआती बंगलों में से एक है। इस बंगले को 1838 में एक मेजर (major) ने बनवाया था। हालांकि अब इसे होटल (hotel) में कनवर्ट (convert) किया जा चुका है। शादी के बाद (after marriage) पहली बार घूमने आने वालों के लिए ये होटल काफी बढि़या आप्”kन (best option) है।
मंदिर (temple)
कार्ट मेकेंजी रोड पर बना नाग देवता (lord nag) का मंदिर काफी पुराना मंदिर (old temple) है। यहां से मसूरी और दून घाटी का सुंदर व्यू दिखाई देता है। इसके अलावा मसूरी से 9 किलोमीटर दूर ज्वालाजी (jwala ji temple) का मंदिर भी है। बेनोग हिल (benog hill) पर बने इस मंदिर के आस-पास जंगल (forest) है।
कार्ट मेकेंजी रोड पर बना नाग देवता (lord nag) का मंदिर काफी पुराना मंदिर (old temple) है। यहां से मसूरी और दून घाटी का सुंदर व्यू दिखाई देता है। इसके अलावा मसूरी से 9 किलोमीटर दूर ज्वालाजी (jwala ji temple) का मंदिर भी है। बेनोग हिल (benog hill) पर बने इस मंदिर के आस-पास जंगल (forest) है।
यमुना ब्रिज (Yamuna bridge)
मसूरी से 27 किलोमीटर दूर यमुना ब्रिज फिशिंग (fishing) करने के लिए फेमस (famous) है। यहां पर फिशिंग (fishing) करने के लिए पहले परमिट (permit) लेना होता है।
मसूरी से 27 किलोमीटर दूर यमुना ब्रिज फिशिंग (fishing) करने के लिए फेमस (famous) है। यहां पर फिशिंग (fishing) करने के लिए पहले परमिट (permit) लेना होता है।
लाखा महल (lakh palace)
कैम्पटी फाल से आगे जाने पर यमनोत्री रोड (yamnotri road) पर 75 किलोमीटर दूर है लाखा महल। कहा जाता है कि यहां पर महाभारत काल में कौरवों ने लाख का महल बनवाया था जिसमें पांडवों को जिंदा जलाकर मारने की योजना थी। यहीं पर एएसआई ने पुरातत्व महत्व की सैंकड़ों मूर्तियां रखी हुई है।
कैम्पटी फाल से आगे जाने पर यमनोत्री रोड (yamnotri road) पर 75 किलोमीटर दूर है लाखा महल। कहा जाता है कि यहां पर महाभारत काल में कौरवों ने लाख का महल बनवाया था जिसमें पांडवों को जिंदा जलाकर मारने की योजना थी। यहीं पर एएसआई ने पुरातत्व महत्व की सैंकड़ों मूर्तियां रखी हुई है।
इन सबके अलावा मसूरी (Mussoorie) के आसपास धनौल्टी (Dhanaulti), सुरखंडा देवी मंदिर
(surkhanda devi temple), चंबा (chamba) जैसी जगह है जहां जाकर नेचर (nature) को करीब से देखा जा सकता है।
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